महीने फिर वही होंगे हमें बस हाल बदलना है,
मिल जाए जो शिकारी कोई तो जाल कुतरना है।
नहीं रोना है बीते वक्त पर, अब बस आगे बढ़ना है,
ज़माने को दिखाना है जमाना भी बदलना है।
भले करनी पड़ेगी लाख कोशिश करके दिखाना है,
किसी की बात सुनकर के नहीं फिर बैठ जाना है।
बुलंदी चीज़ क्या होती है, ये सबको ही बताना है,
*वसी* अपने पुराने हाल बदल बस आगे बढ़ते जाना है।
*वसी खान*
No comments:
Post a Comment
Welcome On My Blog