अइसन साहेब का निर्णय आइल, बंद बा बोली आज से
का हो प्रधान जी, प्रधानी गइल हाथ से,
दू महीना पहिले से ही, चाय आउ चर्चा चलत रहे
जेसे कबहु बोल न बोले, ओहु के खर्चा चलत रहे
लाखों रुपिया फूँक दिहले, पोस्टर और प्रचार में
कुछहु हाथ ना आइल ना उम्मीद बचल गाँव से
का हो प्रधान जी, प्रधानी गइल हाथ से,
अइसन आरक्षण गइल, बंद बा बोली आज से
सपना देखले बड़े बड़े, जागत, सुतत्, खड़े खड़े
वादा कइलें बड़ा बड़ा, टूटी आस और फुटल घडा
नींद न आई रतिया भर, हाथ धोवले सारे दाव से
का हो प्रधान जी, प्रधानी गइल हाथ से,
अइसन साहेब का निर्णय आइल, बंद बा बोली आज से
ओहु के कहलें बाबू, भइया, दीदी, बुआ, खाला, मईया
रिस्तादारी जोड़त रहलें, सेवा खातिर करत रहलें,
टूटल सगरो आस, और निरास बाने सरकार से
का हो प्रधान जी, प्रधानी गइल हाथ से,
अइसन साहेब का निर्णय आइल, बंद बा बोली आज से
काहे *वसी* सुना खरी खरी, जनि करिहा चिंता बड़ी बड़ी
भले कुछहु हाथ न आइल, गाँव जवार् मे नाम त् भइल
करिहा इंतज़ार अगली बारी लडिहा शान से
आई प्रधानी फ़िरसे, अगले 5 साल में
*वसी खान*
No comments:
Post a Comment
Welcome On My Blog